देवों ने भी स्वीकारा, है वेद-पुराणों की बानी,
नौ दिन नवरात्रों के होते हैं पावन औ' वरदानी।
मातु शैलपुत्री पहले दिन दृढ़ता का वर देती हैं,
दूजे दिन माँ ब्रह्मचारिणी संयम से भर देती हैं।
दिवस तीसरे देवी चंद्रघंटा का पूजन होता है,
भक्तों के मन में जो अनुपम बीज शांति के बोता है।
माँ की महिमा से मिलता है प्यासी आत्मा को पानी,
नौ दिन नवरात्रों के होते हैं पावन औ' वरदानी।
चौथे दिन माँ कूष्मांडा हर लेतीं रोग-शोक तन का,
पाँचवें दिन स्कंदमाता वर देतीं इच्छित जीवन का।
छठे दिवस माँ कात्यायनी का पूजन मंगलदायी है,
युगों-युगों से माता भक्तों के दुख हरती आयी है।
नहीं कहीं मिलता कोई ममता में माता का सानी,
नौ दिन नवरात्रों के होते हैं पावन औ' वरदानी।
सातवें दिन माँ कालरात्रि शुभ फल देने आती हैं,
आठवें दिन महागौरी भक्तों की किस्मत चमकाती हैं।
नवरात्रे का नौंवा दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है,
मातु सिद्धियाँ देतीं सारी, मंगल-मंगल होता है।
माता को नित भजनेवाले कहलाये जग में ज्ञानी,
नौ दिन नवरात्रों के होते हैं पावन औ' वरदानी।