मुनिया चुहिया सब से मिल के रहती, करती न कभी मनमानी
वन के पशु भी खुश थे उससे, कहते - "हम बालक हैं, तुम नानी"
मुनिया इक रोज उठी सुबहे गुझिया व पनीर पुलाव बनाने
कुछ दोस्त सियार, कँगारु, गधे जुटते उसके घर दावत खाने
चिपु एक बिलाव बड़ा बदमाश, तभी गुजरा मुँह पान चबाते
पकवान पके समझा जब वो, ठिठका तब लार बड़ी टपकाते
मुँह ढाँप घुसा वह पैर दबा छुप के घर में तरमाल चुराने
मुनिया सहसा पहुँची जब तो चिपु दाँत निकाल लगा डरवाने
मुनिया दिखलाकर साहस दौड़ गई, झट बेलन हाथ उठाया
कस के कुछ बेलन दे चिपु के सिर पे उसको तब मार भगाया
जब दोस्त जुटे घर में, मुनिया हँस के सबको यह बात बताई
सुन बात, सभी मिल खूब हँसे कर के उसकी भरपूर बड़ाई
बच्चों के लिए बेहतरीन बाल रचना.बहुत ही सुन्दर.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार सर........
हटाएं"जानिये: माइग्रेन के कारण और निवारण"
हटाएंLovely Poem...
जवाब देंहटाएंकविता की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार......
जवाब देंहटाएंआपको नव संवत 2070 की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंआज 11/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं. आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय यशवंत जी। आपको भी नव संवत की हार्दिक शुभकामनाएं......
हटाएंबहुत सुन्दर प्रेरक बाल रचना ..
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर एवँ गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनायें !
प्रोत्साहन हेतु आपका आभारी हूँ आदरणीया कविता रावत जी। आपको भी नव संवत एवं गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनाएं.....
हटाएंबहुत सुन्दरबाल रचना
जवाब देंहटाएंLATEST POSTसपना और तुम
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय.........
हटाएंनव संवत की हार्दिक शुभकामनाएं.....बहुत सुन्दर बाल रचना ........
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार आदरणीया संध्या तिवारी जी....आपको भी नव संवत की हार्दिक शुभकामनाएं.......
हटाएंबहुत सुंदर बालगीत गौरव जी....
जवाब देंहटाएंनव-संवत्सर की शुभ-कामनाएं........
प्रोत्साहन हेतु आपका आभारी हूँ आदरणीया अदिति पूनम जी, आपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं..........
हटाएंsunder
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