सोमवार, 23 जुलाई 2018

बंद (लघुकथा)

महेश कोचिंग जाने के लिए तैयार हो रहा था कि तभी पिता ने पुकारा,

"हाँ पापा, कहिए"

"अरे महेश, सुनो मेरा तुम्हारी माँ के साथ झगडा हो गया है, वो कल उसने पकौड़े थोड़े फीके बनाये थे न! उसी बात पर। इसलिए आज सारा दिन तुम घर में बंद रहोगे और यदि तुमने बाहर निकलने की कोशिश की तो मैं तुम्हारे कमरे को पूरा तोड़-फोड़ दूँगा"

महेश हैरान रह गया,

"पिताजी, यदि आपका झगडा माँ से हुआ है तो आप माँ से बात कीजिये। इसकी सजा आप मुझे क्यों दे रहे हैं? इसमें मेरी क्या गलती है?

"कल तुमने अपने छात्रसंघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के विरोध में अपने दोस्तों के साथ मिलकर पूरे शहर को बंद करा दिया था। तुम्हारा विरोध तो सरकार से था। तुमने सरकार से बात क्यों नहीं की? तुमने इसकी सजा आम जनता को क्यों दी? इसमें उनकी क्या गलती थी?"

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