बावले नैन
दौड़ते दरवाजे की ओर बार-बार
किसका इंतजार
न कोई चिठ्ठी आयी न ही संदेश
कोई दस्तक भी तो नहीं हुई
फिर भी एक आवारगी है
घनी आबादी के किनारे
एक बियाबान सा इलाका
मानों रास्तों ने भी किनारा कर लिया
तीखी हवाएँ
चीरती चली जाती हैं पत्तियों को
विरोध में होती हैं सरसराहटें बेबस सी
दूर कहीं से आती आवाज
किसी के हुहुआने की मनहूसियत लिए
रह-रह के सुनाई दे जाती अपनी साँसें
धड़कनों में कसमसाती एक तरुण आस
नाकाम चीखें अभिव्यक्ति की
कुछ न कुछ पल-पल टूट रहा है
मुरझाते फूल अर्पित होने की चाह लिए
सबके बीच घायल पड़ी एक पुकार
जो टकराकर गिरी है पत्थर से
तड़पती हुई
कोई नहीं जो उसके माथे से बहता
पसीना पोंछे, करे मरहम-पट्टी
ऐसे हालातों में क्यों न बेचैन हो
वो अजनबी तलाश
जो खुद से भी अनजान है
दौड़ते दरवाजे की ओर बार-बार
किसका इंतजार
न कोई चिठ्ठी आयी न ही संदेश
कोई दस्तक भी तो नहीं हुई
फिर भी एक आवारगी है
घनी आबादी के किनारे
एक बियाबान सा इलाका
मानों रास्तों ने भी किनारा कर लिया
तीखी हवाएँ
चीरती चली जाती हैं पत्तियों को
विरोध में होती हैं सरसराहटें बेबस सी
दूर कहीं से आती आवाज
किसी के हुहुआने की मनहूसियत लिए
रह-रह के सुनाई दे जाती अपनी साँसें
धड़कनों में कसमसाती एक तरुण आस
नाकाम चीखें अभिव्यक्ति की
कुछ न कुछ पल-पल टूट रहा है
मुरझाते फूल अर्पित होने की चाह लिए
सबके बीच घायल पड़ी एक पुकार
जो टकराकर गिरी है पत्थर से
तड़पती हुई
कोई नहीं जो उसके माथे से बहता
पसीना पोंछे, करे मरहम-पट्टी
ऐसे हालातों में क्यों न बेचैन हो
वो अजनबी तलाश
जो खुद से भी अनजान है
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