होश आनेपर विजेन्द्र ने अपनेआप को अस्पताल के बिस्तर पर पाया। सिर में उठते तेज दर्द और कमजोरी से टूटते शरीर से उसने किसी तरह दिमाग पर जोर डाला तो उसे याद आया कि वह पत्नी और बच्चों के साथ बाजार में था। तभी एक जोरदार धमाका हुआ...और...और...उसे आगे का कुछ याद नहीं आ रहा था। बेचैनी में वह छटपटाने लगा लेकिन पूरे शरीर में ड्रिप और पट्टियाँ बँधी थी। नर्स का ध्यान उसकी ओर गया तो भागी आयी और समझाया,
"प्लीज, लेटे रहिए...डॉक्टर साहब आते ही होंगे"
"म...मेरी...पत...पत्नी...बच्चे...!"
विजेन्द्र ने अपने परिवार के बारे में जानना चाहा लेकिन नर्स कुछ बता नही पायी। कमरे के बाहर से लोगों की आवाज आ रही थी,
"आतंकवादी हमला आखिर हमारे शहर में भी हो गया, भरोसा नहीं होता"
"आतंकवादियों के प्रति कब तक नरम रहेगी हमारी सरकार?"
"फिर पाकिस्तान के एक जेहादी गुट ने जिम्मेदारी ली है हमले की, समाचार टीवी पर आ रहा"
विजेन्द्र के दिल में तूफान उठने लगा। जात-पात की संकुचित मानसिकता में पड़कर पहले कहे गये अपने शब्द उसे याद आ रहे थे,
"आतंकवादी भी किसी के बेटे होते हैं...आतंकवादी भटके हुए नौजवान होते हैं...मानवाधिकार सबका हक है चाहे आपकी नजर में कोई आतंकवादी ही क्यों न हो"
उन्मादित अवस्था में विजेन्द्र ने आसपास नजरें घुमाईं। वह अपना मोबाइल ढूँढ रहा था जिससे वह आतंकवादियों के विनाश की माँग करता हुआ कोई पोस्ट लिख सके...अब तक जताई अपनी सहानुभुतियों के लिए जनता से क्षमा माँग सके! लेकिन शरीर बिल्कुल साथ ही नहीं दे रहा था। तभी नर्स, डॉक्टर वहाँ आये। विजेन्द्र ने डॉक्टर से कहा,
"डॉक्टर साहब, मेरा मोबाइल दीजिए"
डॉक्टर ने संवेदना भरी दृष्टि उसपर डाली और बोला,
"ज्यादा हिलने-डुलने की कोशिश मत कीजिए, आई एम सॉरी लेकिन आपकी जान बचाने के लिए हमें आपके हाथ..." (समाप्त)
मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंसादर आभार मैम...
हटाएंमानवाधिकार क्या केवल आतंकवादियों के ही होते हैं..मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैम...इस कहानी के विजेन्द्र पात्र जैसे लोग ही आतंकवाद की समाप्ति में सबसे बड़ा रोड़ा होते...
हटाएंसादर आभार :)
जवाब देंहटाएंमार्मिक कथा भाई
जवाब देंहटाएंअरे वाह दीदी, आप भी यहाँ! सचमुच बहुत अच्छा लगा आपकी उपस्थिति से। हार्दिक आभार...
हटाएंसुन्दर ! विचारोत्तेजक लघुकथा !
जवाब देंहटाएंहार्दिक स्वागत सर, एक के बाद एक अपनों का आना बहुत सुखद लग रहा है, सादर आभार...
हटाएंहाथ काटने पड़े
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार सर...
हटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैम...आपके शब्द प्रोत्साहित करने वाले हैं
हटाएंसार्थक विषय पर सुन्दरमार्मिक लघु कथा
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत स्वागत मैम, आपका हार्दिक आभार...आपलोगों को यहाँ देखकर ऐसा लग रहा है जैसे किसी शहर में नया घर लिया हो और अब परिचितों का भी आना-जाना शुरू हो गया...अति सुखद
हटाएं:) :)