शनिवार, 23 मार्च 2019

दुलरुआ फाग (गीत)















ग्यारहों मासों का
इकलौता दुलरुआ फाग

देखते उसको उतरतीं
पूस-माघी त्योरियाँ
चैत्र ले के गोद में
रहता सुनाता लोरियाँ
जेठ और बैसाख
रखते दूर अपनी आग

सानते भूले नहीं
सावन या भादो कीच में
टोकने आते नहीं हैं
क्वार-कातिक बीच में
नेह अगहन का मिले
आषाढ़ रखता लाग

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