शौर्यपुर का राजकुमार अचल वन विहार कर रहा था कि तभी उसकी दृष्टि एक रोते हुए बुजुर्ग पर पड़ी जिसे कुछ लोग पीट रहे थे। अचल तुरंत वहाँ पहुँचा और कड़क के पूछा।
"कौन हो तुमलोग और इनको क्यों मार रहे?"
अचल को देखते ही वे लोग वहाँ से भाग निकले। अचल उनका पीछा करना चाहता था लेकिन बुजुर्ग को सम्हालना उसने ज्यादा जरूरी समझा।
"आप इस जंगल में क्या कर रहे थे?"
"घर जा रहा था बेटा, सोचा इस जंगल के रास्ते जल्दी पहुँच जाऊँगा लेकिन ये लुटेरे मिल गये" बुजुर्ग ने रोते हुए कहा। अचल ने उनका बिखरा सामान समेट के थैली मे रखा और अपने कंधे पर रखा।
"मैं यहाँ का राजकुमार अचल हूँ, चलिए आपको वैद्य जी से दिखा दूँ"
महल पहुँचकर अचल ने बुजुर्ग को वैद्य से दिखाया। वैद्य ने कुछ दवाएँ दी और पट्टियाँ बाँधी। दो दिनों तक अचल ने राजकीय खर्च से उनका इलाज कराया। उसने उनके घरवालों को भी बुलवा लिया था। बुजुर्ग के इस संसार में केवल एक पोता और एक पोती थी। जब उनकी तबीयत सुधरी और वे घर जाने लगे तो उन्होंने अचल से कहा।
"बेटा, तुमको देने के लिए मेरे पास..."
"अरे नहीं बाबा" अचल ने उनके हाथ पकड़ के कहा। "मुझे कुछ नहीं चाहिए, आप मेरी प्रजा हैं, आपकी सेवा मेरा कर्तव्य"
"बेटा, ये तो तुम्हारा बड़प्पन है, तुम भी मेरे पोते जैसे हो, लो ये रख लो, मैं अपने पोते के लिए ही ले जा रहा था"
कहते हु्ए बुजुर्ग ने अपनी थैली से एक पासा निकाला और अचल को दिया। अचल ने बुजुर्ग का दिल रखने के लिए उसे मुस्कुरा के स्वीकार कर लिया। बुजुर्ग उसको आशीर्वाद देते हुए अपने परिवार के साथ चले गये।
अचल अपने कक्ष में आकर ऐसे ही खेल-खेल में उस पासे को चलने लगा। वह जब भी चलता हर बार छः आता। उसे ये देख हँसी आने लगी। तभी उसके मंत्री ने सूचना दी कि कोई घोड़े का व्यापारी बहुत अच्छे घोड़े लेकर आया है और महाराज चाहते हैं कि राजकुमार भी कोई एक घोड़ा अपने लिए खरीद लें। अचल घोड़े देखने निकल पड़ा। व्यापारी ने उसे घोड़े दिखाने शुरू किये। सचमुच सभी घोड़े एक से बढ़कर एक थे। अचल निर्णय नहीं ले पा रहा था। उसी समय उसकी नजर एक घोड़े की लगाम पर गयी। उस पर छः लिखा लॉकेट बँधा था। अचल ने यों ही सोचा कि पासे में भी छः आ रहा था, चलो यही घोड़ा ले लेता हूँ। उसने वही घोड़ा खरीद लिया। बाकी घोड़े सेनापति, मंत्री और सिपाहियों ने खरीद लिये। सचमुच अचल का घोड़ा उन सबमें बढ़िया निकला। ऐसा सरपट भागता कि सब देखते रह जाते। छलाँग ऐसी कि कंगारू भी शरमा जाए। अचल अपने घोड़े से पूरा संतुष्ट था।
एकबार शौर्यपुर को शत्रुओं ने चारों ओर से घेर लिया। शौर्यपुर की सेना बहुत वीरता से लड़ रही थी लेकिन शत्रु प्रबल होता जा रहा था। दुविधाओं से परेशान अचल ने एक दिन फिर उसी पासे को चला। पहलीबार में चार आया। उसने फिर से चला तो तीन और उसके बाद दो। अचल ने बिना कुछ सोचे सेना को शत्रु के चौथे और तीसरे मोर्चे पर ज्यादा ध्यान देने का आदेश दिया और खुद सिपाहियों की एक टुकड़ी के साथ दूसरे मोर्चे पर टूट पड़ा। कुछ ही दिनों में स्थितियाँ बदल गयीं। पता चला कि चौथे मोर्चे से ही शत्रु हथियारों की आपूर्ति कर रहा था और तीसरे से भोजन की। दूसरा मोर्चा सबसे महत्वपूर्ण निकला जो कि शत्रु राजा का संदेश बाकी टुकड़ियों तक पहुँचाता था। इन्हीं तीनों पर प्रहार होने से शत्रु सेना के पैर उखड़ गये और शौर्यपुर विजयी हुआ। अचल ने खुशी में झूमकर पासे को चूम लिया। उसे वह पासा अद्भुत लगने लगा था।
एक दिन अचल अपने कक्ष में खड़ा था कि तभी मेज पर रखा वही पासा लुढ़क के जमीन पर गिर गया। अचल जैसे ही उसे उठाने के लिए झुका कि उसके सिर के ऊपर से एक तलवार साँय से गुजर गयी। अगर वह झुका नहीं होता तो उसका सिर धड़ से अलग हो चुका होता। अचल ने देखा कि कोई नकाबपोश हमलावर उसपर अगला वार करने जा रहा था। अचल ने फुर्ती से वहाँ से हट कर उसे एक लात मारी और गिरा दिया। गिरफ्तार होने पर उसने बताया कि वह शत्रु देश की पराजय का प्रतिशोध लेने आया था।
अचल को अब पूरा भरोसा होने लगा कि ये पासा जादुई है जो कि हर समय किसी न किसी तरीके से उसकी सहायता कर रहा है। वह उन्हीं बुजुर्ग के घर पहुँचा जिन्होने उसे वह पासा दिया था। सारी बातें सुनकर बुजुर्ग हँसने लगे और बोले कि बेटा, जो शक्ति तुम्हारी मदद कर रही है वह तुम्हारे परोपकार की है, ये पासा तो केवल एक खिलौना है, जो दूसरों की सहायता करते हैं, भगवान उनकी सहायता करता है"
अचल की आँखों में आँसू आ गये। सबकी सेवा करने का उसका विचार और भी दृढ़ हो चुका था (समाप्त)
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को
" परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
आपका बहुत-बहुत आभार मैम
हटाएंमोहक कथा बच्चों का मन मोह लेगी और बड़ो को भी पसंद आयेगी।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
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