रविवार, 2 अगस्त 2020

चाय तो चाहिए (गीत, चाय विशेष)


















कर्मपथ ने

निचोड़ा बहुत आज फिर
चाय तो चाहिए, चाय तो चाहिए

एक पन्ना नया जिन्दगी ने पढ़ा
एक दीया लगे ज्यों समय ने गढ़ा
कुछ प्रशंसा लिए पुष्प हो कर मिले
कुछ रहे दूर पर, दोष मत्थे मढ़ा

थक गया
देह-घोड़ा बहुत आज फिर
चाय तो चाहिए, चाय तो चाहिए

कामना थी छिपी आवश्यकता तले
था न पलना जिन्हें, स्वप्न वे भी पले
आ रहा है कसैला तभी स्वाद अब
चाह होने लगी, दौर मीठा चले

संग नमकीन
थोड़ा-बहुत आज फिर
चाय तो चाहिए, चाय तो चाहिए

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