शनिवार, 20 अगस्त 2022

अपने कर्म अपने हिस्से (बाल कहानी) | hindi story for kids | Moral stories for childrens in Hindi | baccho ki kahani

अपने कर्म अपने हिस्से (बाल कहानी) | hindi story for kids | Moral stories for childrens in Hindi | baccho ki kahani






नन्हा अथर्व रोज अपने पिता को देखता था। चिड़ियों को दाना डालते, सड़क पर बेसहारा घूमते जीवों को खाना बाँटते। उसे भी यह सब काम पसंद आने लगे थे, इसलिए वह भी अपने जेबखर्च के पैसे बचाकर बीच-बीच में जीव-जंतुओं को खाना-पानी देने लगा। उसके पिता भी अपने बेटे में अच्छी आदत पड़ती देख बहुत खुश हुए।


एक शाम जब पिता घर में आए तो उन्होंने देखा कि अथर्व अपने स्कूल के दोस्तों के साथ बैठा बातें कर रहा था।


"हमलोग चिड़ियों के लिए खाना लाते हैं, कुत्तों के लिए भी, हमने उनके लिए नहीं किया तो वे कैसे जी पाएँगे"


पिता उसकी बात से सोच में पड़ गये। दोस्तों के जाने के बाद उन्होंने अथर्व को अपने पास बुलाया और बोले,


"बेटा, हम जीव-जंतुओं को जो भोजन देते हैं, वह उनके लिए नहीं बल्कि अपने लिए देते हैं"


अथर्व को बात कुछ समझ नहीं आयी। वह बोला,


"पापा, अगर हमने चिड़ियों को खाना नहीं दिया तो वे सब तो मर जाएँगी"


पापा मुस्कुरा कर बोले,


"ठीक है, दो दिन हम चिड़ियों को दाना नहीं डालेंगे"


अथर्व तैयार हो गया। दो दिनों तक उनलोगों ने चिड़ियों और सड़कों पर घूमने वाले किसी जीव को कुछ खाने को नहीं दिया। तीसरे दिन अथर्व ने देखा कि चिड़ियाँ जस की तस पेड़ों पर चहचहा रही है, सड़कों पर जानवर भी वैसे के वैसे ही बीच-बीच में दिख रहे। अथर्व ने अपने पापा की ओर जिज्ञासु दृष्टि से देखा। पापा उसके मन की बात समझ गये और हँसकर बोले,


"देखा बेटे, तुम्हारे खाना नहीं खिलाने पर भी सब जीव-जंतु जीवित हैं, इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें समझाया है कि किसी को कुछ देने के बाद अपने मन में ये भावना नहीं लानी चाहिए कि अमुक व्यक्ति या जानवर हमारे दान से ही पल रहा है, सबको पालने वाले भगवान होते हैं"


अथर्व को बात समझ आ गयी लेकिन उसके दिल में एक सवाल और था। उसने पूछा,


"लेकिन पापा आपने ये क्यों कहा कि हम चिड़ियों को खाना अपने लिए खिलाते हैं"


पापा, अथर्व के सिर पर प्यार से हाथ फेरकर बोले, 



"वह इसलिए क्योंकि किसी को कुछ देने से हमको शांति और खुशी मिलती है, अपने अंदर एक अच्छी आदत का विकास होता है और जो किसी जरूरतमंद को कुछ देता है, भगवान उसकी झोली हमेशा भर के रखते हैं"


अथर्व ये सुनकर बहुत खुश हुआ। आज उसे इतनी सुंदर बातें जो सीखने को मिल गयी थीं। (समाप्त)


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