"ये क्या किया सरकार, पिंजरों के दरवाजे खुले रखने का आदेश दे दिया! सब के सब उड़ जाएंगे। क्या बचेगा हमारे पास? माँस की महक को तरसना पड़ेगा"
"मूर्ख हो तुम वजीर जो अभीतक सत्ता के तौर-तरीके नहीं समझ सके। हमारे विरोध में कुछ स्वर पनपने लगे थे। उनको दबाने के लिए अनगिन तालियों की गड़गड़ाहट चाहिए थी सो ऐसा हुक्म देना पड़ा। आदेश-पत्र को
ठीक से पढ़ो। ये शर्त अनिवार्य रूप से रखी गई है कि उनके ही पिंजरों के दरवाजे खुले रखे जाएंगे जो अपने पर कतरवाने की लिखित स्वीकृति दें"
ठीक से पढ़ो। ये शर्त अनिवार्य रूप से रखी गई है कि उनके ही पिंजरों के दरवाजे खुले रखे जाएंगे जो अपने पर कतरवाने की लिखित स्वीकृति दें"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें