SHABDD SUGANDH
KUMMAR GAURAV AJIITENDU का ब्लॉग "शब्द सुगंध"
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मंगलवार, 17 जुलाई 2018
हाइकु
(1)
काल सुनार
मनुष्य कैसा स्वर्ण
करे परख
(2)
कहता काठ
बढ़ई बड़ा क्रूर
उधेड़े खाल
(3)
करता याद
दरवाजे का काठ
वन के दिन
(4)
खड़के पत्ते
जागा सो रहा पेड़
लगा झूमने
(5)
कोयल कूकी
मादक सी मिठास
कानों में घुली
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