मंगलवार, 17 जुलाई 2018

मिठास रिश्तों की

अरे! कहाँ गई!
अभी तो यहीं थी!
लगता है कहीं गिर ही गई
इस आपाधापी में

हो सकता है कुचल दी गई होगी
किन्हीं कदमों के तले
या फिर उड़ा ले गया उसे
झोंका कोई हवा का
चाहे चुरा ले गया होगा चोर कोई,
लेकिन चुराएगा कौन!
चीज तो काफी पुरानी थी
फटी-चिटी, धूल-धूसरित

बहुत संभव है फेंक दिया होगा
किसी ने बेकार समझ के
और ले गया होगा कोई
आउटडेटेड आदमी अपने
स्वभाव के झोपड़े में लगाने के लिए!

कहीं कहानी लिखनेवाले
तो उठा नहीं ले गये!
कवियों का भी काम हो सकता है
अन्यथा कोई वृद्ध ले गया होगा
अपने जमाने की शान को
लगा के कलेजे से
बैठ के अकेले में साथ रोने के लिये
अपनी और उसकी दुर्दशा पर

खैर.......जो कुछ भी हो
अब तो मिलने से ही रही
वो खोई हुई चीज
"मिठास रिश्तों की"

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