चुटचुट गौरैया गुन्नू कौए से उलझी हुई थी "बदमाश, तूने आज फिर मेरा घोंसला तोड़ दिया"। गुन्नू भी भड़का हुआ था "देख मेरा दिमाग मत खराब किया कर रोज-रोज"। पंछियों की भारी भीड़ पेड़ पर आ जुटी थी दोनों का हल्ला सुन कर। बात न सँभलती देख तोते ने कोतवाल चक्कू बाज को बुलाना ही उचित समझा। चक्कू ने उपस्थित चिड़ियों से पूछा,
"किसी ने गुन्नू को चुटचुट का घोंसला तोड़ते देखा है?"
सब चुप हो गये। आखिर बिना अपनी आँखों से देखे किसी पर कोई आरोप कैसे लगाया जाता?
"हम्म, यानि किसी ने देखा नहीं तो फिर मैं कौए को गिरफ्तार कैसे करूँ री गौरैया?"
चक्कू ने कड़क के चुटचुट से पूछा। बेचारी सहम गयी। उसकी आँखों में आँसू आ गये। वह चुपचाप वहाँ से उड़ चली। गुन्नू अब जरा शांत था। वह चक्कू से बोला,
"कोतवाल जी, मैंने उस चिड़िया का घोंसला नहीं तोड़ा, मैं तो दो दिनों से यहाँ था भी नहीं"
चक्कू ने सबूतों के अभाव में मामला बंद ही करना ठीक समझा। उधर उड़ती चुटचुट सोच रही थी कि कैसे उस
दुष्ट कौए को सबक सिखाया जाये? तभी उसे अपनी नानी का ख्याल आया जो कुछ दूर आगे के एक पेड़ पर रहती थी। वह तुरंत वहाँ पहुँची और उसको सारी बात बतायी। नानी ने उसको धीरज बँधाया और दोनों वापस चुटचुट के पेड़ पर लौट आयीं। नानी ने कहा,
"चल चुटचुट, तू अपना घोंसला बना ले, हमदोनों इसकी रखवाली करेंगे और जो भी इसको तोड़ने आएगा उसकी फोटो खींच लेंगे"
चुटचुट ने घोंसला बना के तैयार किया। नानी उसको काम करते देखती रही।
अगली सुबह दोनों ने दाने चुगने जाने का नाटक किया और चुपके से ऊपर की डाल पर पत्तियों के बीच छिप के बैठ गयीं। सुबह से दोपहर हुई, दोपहर से शाम लेकिन कोई भी गलत गतिविधि वहाँ होती नहीं दिखी। तभी गुन्नू वहाँ आता नजर आया। चुटचुट ने तुरंत नानी का कैमरा फोटो खींचने के लिए तैयार कर लिया लेकिन ये क्या! गुन्नू ने चुटचुट के घोंसले से फिसल के नीचे गिरे दाल के कुछ दाने अपनी चोंच में उठाये और वापस घोंसले में रख के उड़ गया।
चुटचुट को तो हैरानी होने लगी कि जिसे वह बुरा समझती है वो उसकी सहायता उसके पीठ पीछे भी कर रहा! वह इसी उधेड़बुन में पड़ी ही थी कि हवा का एक थोड़ा तेज झोंका आया और घोंसले के तिनके खुल के बिखर गये।
"हाय राम! मेरा घर!"
चुटचुट ने माथा पकड़ लिया लेकिन नानी हँस पड़ी। चुटचुट खिसिया गयी,
"नानी, एक तो मेरा ठिकाना टूट गया और तू मजे ले रही है?"
नानी ने प्यार से उसे एक चपत लगायी और कहा,
"अरी पगली, तेरा घोंसला तोड़ने वाला पकड़ा गया तो क्यों न खुश होऊँ?"
"कौन है वो?"
चुटचुट ने हैरत से पूछा। नानी बोली,
"तू खुद, और कौन?"
"क्या मैं? नानी तुम्हारा दिमाग तो सठिया नहीं गया"
चुटचुट ने चिढ़ के कहा लेकिन नानी अपनी बात पर अडिग थी,
"मैं नहीं सठियायी-वठियायी, मैंने कल शाम ही तुझे घोंसला बनाते देख समझ लिया था कि तुझे तिनकों को ठीक से आपस में फँसाना नहीं आता और इसी कारण वे हवा से ही खुल जाते होंगे और वही बात निकली"
नानी ने उसको कोसा।
"हाँ-हाँ ठीक है, सिखा देना कसना"
झेंपती चुटचुट उछल के अगली डाली पर जा बैठी। उसे अपनी भूल की अनुभूति हो चुकी थी (समाप्त)
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