सोमवार, 7 जनवरी 2019

नया वर्ष लगा चमकने (गीत)

नया वर्ष है लगा चमकने
देखो वातायन से

आशाओं की ज्योति जगाने
हवा हुलसती फिरती
इच्छाओं की नौका
नयनों के दर्पण में तिरती
ढाई अक्षर भी मदमाते
सभी ओर तन-मन से

कलरव का मौसम ये न्यारा
हृदय-हृदय को भाए
गोद युगल की पाते झूमे
झूम-झूम इठलाए
उत्सव आया नव विहान का
अंबर के आँगन से

संकल्पों ने डेरा डाला
किलकारी के पीछे
दायित्वों का भारी जमघट
खड़ा शिखर के नीचे
खुशी मना कर मिलने जाना
उनके गाढ़ेपन से

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