मंगलवार, 15 जनवरी 2019

समझदार गिलहरी (बाल कविता)


















लकी गिलहरी लेकर आयी, बोरी भर अखरोट
देख चतुर खरहे के मन में, आया थोड़ा खोट

अखरोटों को पाने खातिर, सोचा एक उपाय
दौड़ लकी के पास गया और बोला - सिस्टर हाय!

बोरी मुझको दे दे, तेरा घर है काफी दूर
छोटी सी तू, हो जाएगी थककर बिल्कुल चूर

चतुर सोचता था कि बोरी आते अपने हाथ
भाग चलूँगा सरपट मैं तो छोड़ लकी का साथ

मगर लकी भी होशियार थी, समझ गयी सब खेल
कर डाली उसने खरहे की तुरंत योजना फेल

बोली, चतुर निकल जा जल्दी, मचा न दूँ मैं शोर
मुझे पता है एक नंबर का तू है शातिर चोर

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