गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

मुक्तक कैसे लिखें (वीडियो ट्यूटोरियल के साथ)

 मित्रों को सादर नमस्कार


आज बात करते हैं कवि सम्मेलनों की लोकप्रिय विधा "मुक्तक" पर। मित्रों, मुक्तक, कविता की वह विधा है जो प्रबन्धकीयता से मुक्त होती है। जैसे आपने खण्डकाव्य या महाकाव्य जो कि प्रबन्ध काव्य के ही प्रकार हैं, पढ़े होंगे। इनमें लिखा गया हर छंद या पद, किसी निश्चित विषय से बंधा होता है और उसी विषय का वर्णन पूरे काव्य में होता है। 


इसके ठीक विपरीत मुक्तक काव्य में एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। रहीम के दोहे या मीराबाई के पद्य, ये सभी मुक्तक काव्य के उदाहरण हैं। हाँ, कवि सम्मेलनों में हमलोग मुक्तक का एक विशिष्ट रूप देखते हैं जो कि चार पंक्तियों का होता है। पहली, दूसरी और चौथी पंक्तियाँ समतुकांत होती हैं और तीसरी पंक्ति अनिवार्य रूप से अतुकांत होती है। यह लोक प्रचलित मुक्तक है। इस पोस्ट में हम इसी लोक प्रचलित मुक्तक के शिल्प पर बात करेंगे।

इस प्रकार के मुक्तक की लय पर कहें तो इसकी कोई विशेष लय नहीं होती है। आप किसी भी छंद अथवा किसी निर्धारित मापनी का प्रयोग कर सकते हैं। बस इतना ध्यान रहे कि जिस छंद/ मापनी को आधार मानकर पहली पंक्ति को लिख दिया, बाकी सभी तीन पंक्तियाँ भी उसी लय में लिखी जानी चाहिए।


मुक्तक की पहली पंक्ति आपके लक्षित विषय को व्यक्त करती है। दूसरी पंक्ति बिम्ब, प्रतीकों के माध्यम से उसी बात को पुष्ट/ विस्तृत करती है। तीसरी पंक्ति में आप अपना मत उस विषय पर रखते हैं और चौथी पंक्ति धारदार तरीके से सारी पंक्तियों का एक निचोड़ या हल कह जाती है, जिसे सुनते ही श्रोता वाह-वाह कर उठें! इस दृष्टिकोण से मुक्तक की तीसरी और चौथी पंक्ति बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है।


आपलोगों की सुविधा के लिए मुक्तक विधा का वीडियो ट्यूटोरियल भी यहाँ लगा रहा हूँ। आप अवश्य देखें। 



अपने लिखे एक मुक्तक का उदाहरण दे रहा हूँ -


मौन जब मुखरित हुआ तो शब्द उसमें खो गये

और थोड़े क्षम विलोचन चेतना के हो गये

मुक्तता, संकीर्णता के वर्तुलों से मिल रही

वास्तविकता के धरातल पर मनुज हम हो गये


यहाँ २१२२ २१२२ २१२२ २१२ मापनी का पालन हुआ है। इसी तरह से आप भी मुक्तक लिख सकते हैं। कोई सुझाव अथवा प्रश्न हों तो कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।


धन्यवाद

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