शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

आने लगा बसंत (गीत) - Aane laga Basant (Geet)

 









आने लगा बसंत,

चलो, उपवन हो जाएँ।


कोयलिया की कूक

तनिक बोली में घोलें,

फैली प्रीत-सुगंध

हृदय-वातायन खोलें,

करता पौन प्रयास

स्वप्न यौवन को पाएँ।


रंगों का साम्राज्य

लगा है पुनः पसरने,

तितली हुई उमंग

कामना लगी विचरने,

ढीले होते बंध

जरा खुलकर मुस्काएँ।


मादकता के बीज

लगे मन में अँकुराते,

मौसम अल्हड़ मीत

फिरे उल्लास जगाते,

हंसों के तालाब

कहें आएँ! खो जाएँ! 


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