सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

नव वर्ष विशेष दोहे


दिल फिर सोलह का हुआ, आशाएँ उन्नीस। 

देख मुस्कुराने लगा, दो हजार इक्कीस॥ 


बाइस अभी भविष्य में, बीस हुआ इतिहास। 

वर्तमान इक्कीस है, इस से ही सब आस॥ 


तन उपवन सा हो गया, सपने हुए गुलाब। 

नये वर्ष के संग हम, पढ़ते प्रेम-किताब॥ 


जो बीता, उसको नमन, उसका भी आभार। 

नये वर्ष को दीजिए, आशा का उपहार॥ 


नये वर्ष को क्या कहें? नयी डाल का फूल! 

मिल-जुलकर सींचें इसे, यही सुखों का मूल॥ 


 

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