सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

चिंकू कबूतर और कागू कौआ (बाल कहानी)

 

दीपावली करीब थी सो चिंकू कबूतर, आम के पेड़ पर बने अपने घर की पेंट-पुताई में लगा था। उसने एक मोटी डाल पर अपनी मेहनत से छोटा सा, प्यारा और बहुत सुंदर घर बना रखा था। साथ में उसकी पत्नी मिंकी और बेटा गुटरू रहते थे। मिंकी चुनकर लाए दाल-चावल के दाने जमा कर रही थी और गुटरू पास की डाली पर अपने दोस्तों के साथ फुदक -फुदक कर दीपावली में खरीदे जाने वाले पटाखों और मिठाइयों की प्लानिंग कर रहा था।

 

तभी अचानक चिंकू को अपने घर पर पड़ती बड़ी-बड़ी परछाइयाँ दिखाई दीं! घबराकर चिंकू ने पीछे देखा तो वन के दो नामी बदमाश बाज टिगारा और सिंहारा उनके पेड़ के चारों ओर गोल-गोल चक्कर काटते उड़ रहे थे। उनकी आँखों में हमेशा की तरह क्रूरता भरी थी। उनका काम ही था दूसरों को परेशान करना और खाना छीनना!

 

उनके कुछ समझ पाने से पहले ही टिगारा ने गुटरू की ओर झपट्टा मारा। गुटरू बेचारा डर से अपनी जगह पर जड़ हो गया। टिगारा उसे अपने पंजों में जकड़ने ही वाला था कि मिंकी गोता लगाकर गुटरू को ले उड़ी। गुटरू के दोस्त चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गये। टिगारा का हमला निष्फल गया। सिंहारा ने उनके घर की ओर आक्रमण किया। चिंकू ने पेंट ब्रश और बाल्टी उसे मारी लेकिन कोई खास असर नहीं हुआ। सिंहारा के पंजे से खुद को तो उसने बगल में छलाँग लगाकर बचा लिया लेकिन घर का दरवाजा नहीं बच सका।

 

टिगारा-सिंहारा अट्टहास करते हुए पेड़ पर तोड़-फोड़ मचाने लगे। शाखाओं से पत्तियाँ, फल सब टूट- टूटकर गिरने लगे। अपने निवास स्थल की बर्बादी को चिंकू का परिवार आँसू भरी आँखों से देख रहा था।

 

"अरे! ये कबूतर तो उजला बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा! जरा काला कर देता हूँ!"

 

कह के सिंहारा ने वहाँ रखा काला पेंट उठाया और चिंकू पर उड़ेल दिया। बेचारा चिंकू काले रंग से नहा गया। अपनी दुर्दशा देख उसका मन खराब हो गया। तभी दूर कौओं का झुंड जाता दिखा। चिंकू के मन में अचानक एक आइडिया आ गया।

 

वह तेजी से उड़कर उनके पास पहुँचा और बोला,

 

"भाइयों, मैं चिंकू कौआ हूँ, वे दोनों बदमाश बाज हमारा घर तोड़ रहे हैं, हमें बचाओ"

 

कौओं की एकता तो जगतप्रसिद्ध है! उस टोली का सरदार कागू कौआ गुस्से में भरकर बाजों की ओर देखा और चिल्लाया,

 

"दुष्टों, हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे!"

 

टोली में बीस कौए थे। सब के सब उन दोनों बाजों पर टूट पड़े। टिगारा-सिंहारा ने जवाबी हमला करने की कोशिश की लेकिन कुछ ही पलों में उनका हाल बेहाल हो गया। दोनों जान बचाकर भागने लगे। कागू ने उनको पकड़ा और बोला,

 

"इनका नुकसान क्या तेरा बाप भरेगा?"

 

कह के उसने उन दोनों की जेब में रखे सारे पैसे निकाल लिये और उनको जाने दिया। वे पैसे उसने चिंकू को दे दिए,

 

"ये लो, तुम्हारे हुए नुकसान का हर्जाना"

 

चिंकू ने खुशी-खुशी ले लिया। तभी कागू ने एक चपत उसे भी खींच के लगा दी। चिंकू हकबका गया। गाल पकड़ के रोनी आवाज में पूछने लगा,

 

"अरे मुझे क्यों मारा?"

 

"मुझे बेवकूफ बनाता है!" कागू गुस्से से बोला, "काला रंग हो जाने से कोई कौए जैसा नहीं दिखने लगता! हम पहले ही पहचान गये थे कि तू कबूतर है! लेकिन हम सदा कमजोरों की सहायता करते हैं इसलिए तेरी भी की! आगे से झूठ बोलकर किसी की मदद मत माँगना"

 

कह के वो अपनी टोली के साथ उड़ गया। चिंकू गाल पकड़ के खड़ा था और अब तक डरे-सहमे मिंकी और गुटरू को भी उसकी हालत देख कर हँसी आने लगी । (समाप्त)

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