शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में बेहतर भविष्य

देश-दुनिया में जिस तरह से मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल से लेकर हर सेक्टर में ऑटोमेशन बढ़ा है और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए रोबोटिक्स, एआई एवं मशीन लर्निंग की सहायता ली जाने लगी है, उसे देखते हुए कोई संदेह नहीं कि आने वाले समय में रोबोटिक्स के कुशल प्रोफेशनल्स की माँग तेज होगी। कोरोना काल में उत्पन्न हुई परिस्थितियों ने तो अस्पतालों, एयरपोर्ट, मॉल्स, फूड एवं बेवरेज इंडस्ट्री में भी इनका प्रयोग और अधिक बढ़ा दिया है।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स के विद्वान और फ्यूचरिस्ट मार्टिन फ़ोर्ड का भी मानना है कि कोविड-19 के प्रभाव से उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएँ बदलेंगी और ऑटोमेशन के नये अवसर खुलेंगे। अपनी हर गतिविधि में इंसानी अहसास ढूँढने की मानसिकता लोगों में बदल रही है। अमेरिका की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वालमार्ट ने अपने यहाँ फ़र्श साफ करने के लिए तो दक्षिण कोरिया में तापमान लेने और सैनिटाइजर बांटने के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं, अस्पतालों में तैनात कई रोबोट्स में लगे ऑडियो व वीडियो डिवाइस, सेंसर्स, 3डी, एचडी कैमरे से डॉक्टर मरीज से बातचीत कर सकते हैं। यहां तक कि आइसोलेशन वार्ड में ऊब रहे मरीज इसके माध्यम से समय-समय पर अपने रिश्तेदारों से भी संपर्क कर सकने की सुविधा है। साथ में ड्रोन्स का भी काफी उपयोग होता देखा गया। महामारी के बाद के दौर में ऑटोमेशन, एआई एवं रोबोट्स की डिमांड और भी बढ़ेगी। इसलिए जिन स्टूडेंट्स की इस सेक्टर में रुचि है, वे खुद को आने वाले समय के लिए बेहतर तैयार कर सकते हैं। उनके लिए कई स्तरों पर मौके होंगे।


शैक्षिक योग्यता


एक्सपर्ट्स के अनुसार रोबोटिक्स के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए रोबोटिक्स इंजीनियरिंग सबसे बेहतर रास्ता होता है। रोबोटिक्स इंजीनियर ऐसे प्रोफेशनल्स होते हैं, जो रोबोट के साथ रोबोटिक सिस्टम तैयार करते हैं। चार साल के इसके कोर्स में मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के साथ कंप्यूटर साइंस जैसी कई शाखाओं का अध्ययन कराया जाता है। रोबोट्स की डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, ऑपरेशन की जानकारी देने के साथ उसे प्रयोग व कंट्रोल करना, इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करना एवं सेंसरी फीडबैक के बारे में बताया जाता है। साइंस स्ट्रीम (पीसीबी/पीसीएम) से 12वीं करने वाले इस कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके अलावा, रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा करने वाले भी लेटरल एंट्री के तहत बीटेक (रोबोटिक्स इंजीनियरिंग) में एडमिशन ले सकते हैं। देश में कई कॉलेज एवं यूनिवर्सटीज में रोबोटिक्स की स्पेशलाइज्ड पढ़ाई होती है और एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद दाखिला मिलता है।


ढेरों संभावनाएँ


रोबोट्स अब केवल उसी सीमा तक सिमटे नहीं हैं जब माइनिंग, बम को निष्क्रिय करने जैसी खतरनाक गतिविधियों में ही इनका उपयोग होता था। लैपटॉप, कंप्यूटर जैसे डिवाइसेज की ही तरह ये लोगों के आम जीवन से जुड़ते जा रहे हैं। इस वैश्विक महामारी के बाद तो हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, फेसिलिटी मैनेजमेंट, म्यूजियम, शॉपिंग मॉल, वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स, फूड बेवरेज से लेकर हाउसकीपिंग ऑपरेशन में रोबोट्स की उपयोगिता और बढ़ जाएगी। कह सकते हैं कि प्रोडक्शन वॉल्यूम बढ़ाने, एक्यूरेसी एवं सेफ्टी को देखते हुए भारतीय इंडस्ट्री तेजी से ऑटोमेशन की ओर कदम बढ़ा रही है, जिसके लिए अधिक से अधिक स्किल्ड लोगों की जरूरत होगी।


प्रमुख संस्थान


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू

आइआइटी, दिल्ली

आइआइटी, बॉम्बे

निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद

बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, पिलानी




















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