अगर आपकी रुचि दवाओं में है तो आपके लिए इस समय तेजी से बढ़ने वाले सेक्टर्स में हेल्थ का नाम भी है। आज की कोरोना महामारी को देखते हुए मेडिकल, पैरामेडिकल और इस सेक्टर से जुड़े कारोबारों का तेजी से विकास होने की सम्भावना है। इसी से जुड़ा फार्मासूटिकल्स का क्षेत्र भी इस समय बड़े अवसर देने वाला माना जा रहा है। विभिन्न रोगों में लाभ पहुंचा सकने वाली उपयोगी दवाओं की खोज या डिवेलपमेंट में दिलचस्पी रखने वाले लोग फार्मेसी सेक्टर से सम्बन्धित विभिन्न कोर्स कर इस सेक्टर में करियर बना सकते हैं। यहां नई-नई दवाइयों की खोज व विकास संबंधी कार्य किया जा सकता है। साथ ही अपने व्यापार का स्कोप तो होगा ही।
विभिन्न कोर्स एवं आवश्यक योग्यता
बारहवीं के बाद - बीफार्मा, बीफार्मा लैटरल एंट्री, डिप्लोमा इन फार्मेसी, बैचलर ऑफ फिजियोथेरपी
डिप्लोमा इन फार्मेसी (डीफार्मा) - यह दो वर्षीय (चार सेमेस्टर का) डिप्लोमा कोर्स है और इसके लिए स्टूडेंट्स को साइंस स्ट्रीम में बारहवीं पास होना चाहिए।
बैचलर ऑफ फार्मेसी (बीफार्मा) - ये चार वर्षीय (आठ सेमेस्टर का) अंडरग्रैजुएट कोर्स है। इसके लिए भी आपको साइंस स्ट्रीम में बारहवीं पास होना चाहिए।
बैचलर ऑफ फिजियोथेरपी (बीपीटी) - यह चार वर्षीय (आठ सेमेस्टर का) ग्रैजुएशन कोर्स है। इसके साथ ही स्टूडेंट्स को छह माह की जरूरी क्लिनिकल इंटर्नशिप भी करनी होती है। इसके लिए साइंस स्ट्रीम में बारहवीं पास होना चाहिए।
मास्टर ऑफ फार्मेसी (एमफार्मा) - यह दो वर्षीय स्नातकोत्तर कोर्स है। इसके लिए स्टूडेंट्स को बीफार्मा होना चाहिए।
इस फील्ड की मुख्य शाखाएं
फार्मासिस्ट
हॉस्पिटल फार्मासिस्ट्स पर मेडिसिन्स और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण, स्टॉकिंग और वितरण की जिम्मेदारी होती है, जबकि रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को एक बिजनेस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार चलाने में समर्थ होना चाहिए।
ड्रग मैन्युफैक्चरिंग
ड्रग मैन्युफैक्चरिंग में आप मॉलिक्युलर बायॉलजिस्ट, फार्मेकॉलजिस्ट, टॉक्सिकॉलजिस्ट या मेडिकल इंवेस्टिगेटर बन सकते हैं। मॉलिक्युलर बायॉलजिस्ट जीन संरचना और मेडिकल व ड्रग रिसर्च में प्रोटीन के इस्तेमाल का अध्ययन करता है जबकि फार्मेकॉलजिस्ट इंसान के अंगों व ऊतकों पर दवाइयों के प्रभाव का अध्ययन करता है। वहीं टॉक्सिकॉलजिस्ट दवाओं के नेगेटिव इफेक्ट को मापने के लिए टेस्टिंग करता है और मेडिकल इंवेस्टिगेटर नई दवाइयों के विकास व टेस्टिंग की प्रक्रिया से जुड़ा रहता है।
इनके अलावा क्लिनिकल रिसर्च, क्वॉलिटी कंट्रोल, ब्रैंडिंग ऐंड सेल्स तथा मेडिकल इन्वेस्टिगेटर जैसे क्षेत्र भी हैं। फार्मेसी सेक्टर में आगे बढ़ने के लिए आप में साइंस और खासकर लाइफ साइंस व दवाइयों के प्रति इंट्रेस्ट होना चाहिए। इससे जुड़े रिसर्च के क्षेत्र में काम करने के लिए आपकी दिमागी विश्लेषण क्षमता बेहतर होनी चाहिए साथ ही शैक्षणिक बुनियाद भी अच्छी होनी चाहिए। यदि आप इससे जुड़े मार्केटिंग क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर होनी जरूरी है।
प्रमुख इंस्टिट्यूट्स
कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, न्यू दिल्ली
महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक
गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा
नैशनल इंस्टिटयूट ऑफ फॉर्मासूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, मोहाली, पंजाब
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