मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

बहुत खास है समोसा

समोसा, अपने देश में हरेक वर्ग के लोगों में लोकप्रिय है। चाहे जो भी अवसर हो, इसका अपना एक अलग स्थान है। फास्ट फूड से लेकर जंक फूड के दौर में भी समोसे के प्रति हमारा लगाव कभी कम नहीं हुआ। चौक-चौराहे के ठेलों और फाइव स्टार होटलों तक में मिलने वाला समोसा, 10वीं शताब्दी से पहले कहीं मध्य पूर्व में पहलीबार बनाया गया था। इसे ईरान के प्राचीन साम्राज्य से जुड़ा माना जाता है। समोसा नाम फारसी शब्द 'सम्मोकसा' या 'संबुश्क' से निकला है और पहली बार इसका उल्लेख 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी की लेखनी में मिलता है। हालाँकि उस दौर में समोसे का स्वरूप अलग था और कहा जाता है कि गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में समोसे जैसी ही एक डिश सर्व की जाती थी, जिसमें कीमा और सूखे मेवे की स्टफिंग रहती थी। मोरक्कन यात्री इब्न बतूता ने भी मोहम्मद बिन तुग़लक़ के दरबार में होने वाले भव्य भोज में परोसे गए समोसे का वर्णन किया है। तब ये कीमा और मटर भरा हुआ पतली परत वाली पैस्टी जैसा हुआ करता था।


16वीं शताब्दी के मुगल दस्तावेज आइन-ए-अकबरी में भी समोसे के बारे में लिखा गया है। ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान पहुँचने पर समोसा बकरे या भेड़ के मीट और कटे हुए प्याज से बनता था। 16वीं सदी में ही पुर्तगालियों के भारत में आलू लाने के बाद समोसे आलू वाले बनने लगे। समोसे का रूप लगातार बदला और आज भी कुकिंग एक्सपर्ट इसमें नये-नये प्रयोग करते हैं। मैगी, पनीर यहाँ तक कि चॉकलेट भरे समोसे भी बनने लगे हैं। दक्षिण भारत में लोकल मसालों के साथ प्याज, गाजर, पत्ता गोभी और करी पत्ते भी भरकर समोसा बनाया जाता है।


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