"दोहा क्या है", "दोहे कैसे लिखे जाते हैं", "मात्रा गणना क्या है" इत्यादि विषयों पर आपलोगों ने मेरी पिछली पोस्ट्स को खूब पसंद किया और बहुतों ने मुझे व्यक्तिगत रूप से बताया कि उनको दोहा लिखना समझ आने लगा है। आज इस पोस्ट में मैं आपलोगों को दोहे से जुड़ी एक और रोचक बात बताऊँगा कि "दोहा कितने प्रकार का होता है"। आइए, देखते हैं।
दोहा, रोला, चौपाई, बरवै या कोई भी छंद हो, सब में मात्रा गणना और मात्रा संयोजन प्रमुख है। दोहे के जिन तेईस प्रकारों की यहाँ मैं बात करने जा रहा हूँ, वह भी दोहे में लघु-गुरु मात्राओं की संख्या पर ही आधारित है।
१ - भ्रमर दोहा (२२ गुरु, ४ लघु)
२ - सुभ्रामर दोहा (२१ गुरु, ६ लघु)
३ - शरभ दोहा (२० गुरु, ८ लघु)
४ - श्येन दोहा (१९ गुरु, १० लघु)
५ - मंडूक दोहा (१८ गुरु, १२ लघु)
६ - मर्कट दोहा (१७ गुरु, १४ लघु)
७ - करभ दोहा (१६ गुरु, १६ लघु)
८ - नर दोहा (१५ गुरु, १८ लघु)
९ - हंस दोहा (१४ गुरु, २० लघु)
१० - गवंद या मदुकल दोहा (१३ गुरु, २२ लघु)
११ - पयोधर दोहा (१२ गुरु, २४ लघु)
१२ - चल या बल दोहा (११ गुरु, २६ लघु)
१३ - वानर दोहा (१० गुरु, २८ लघु)
१४ - त्रिकल दोहा (९ गुरु, ३० लघु)
१५ - कच्छप दोहा (८ गुरु, ३२ लघु)
१६ - मच्छ दोहा (७ गुरु, ३४ लघु)
१७ - शार्दूल दोहा (६ गुरु, ३६ लघु)
१८ - अहिवर दोहा (५ गुरु, ३८ लघु)
१९ - ब्याल दोहा (४ गुरु, ४० लघु)
२० - विडाल दोहा (३ गुरु, ४२ लघु)
२१ - श्वान दोहा (२ गुरु, ४४ लघु)
२२ - उदर दोहा (१ गुरु, ४६ लघु)
२३ - सर्प दोहा (४८ लघु)
यहाँ दोहे के इतने सारे प्रकारों के बारे में पढ़कर इस सोच-विचार में मत पड़ जाइएगा कि आखिर इतने प्रकारों को लिखा कैसे जाएगा? आपको मैंने दोहे की पिछली पोस्ट में जो नियम बताए हैं, आपको केवल उनका ही पालन कर के दोहे लिखने हैं। लिखने के बाद आप अपने उस दोहे में उपस्थित लघु-गुरु वर्णों की संख्या गिनकर देखिए। आप पाएँगे कि ऑटोमैटिकली आपका दोहा यहाँ बताए गये २३ प्रकारों में से किसी एक का निकलेगा। है न मजेदार बात! उदाहरण देखिए -
नये वर्ष को क्या कहें? नयी डाल का फूल!
मिल-जुलकर सींचें इसे, यही सुखों का मूल॥
ये मेरा लिखा दोहा है। इसमें १६ गुरु और १६ ही लघु वर्ण हैं। मतलब कि ये करभ दोहा कहलाएगा। एक विशेष बात कि दोहे के २२वें और २३वें प्रकारों में गुरु वर्णों की संख्या दो से कम है। इसका अर्थ कि चरणांत जो गुरु-लघु से करने का विधान दोहे का होता है, उसका पालन इनमें संभव नहीं दिखता लेकिन ऐसे दोहे आंचलिक भाषा में लिखे गये हैं और गुरु वर्ण को अपभ्रंश रूप में दो लघु लिख दिया गया है, जैसे - कर्म को करम, मर्म को मरम आदि।
तो इस पोस्ट में आपने जाना कि दोहा कितने प्रकार का होता है और इन प्रकारों के अंतर्गत दोहे कैसे लिखे जाते हैं। अगली पोस्ट में किसी नयी विधा के साथ मिलते हैं।
बहुत उपयोगी लेख है।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक स्वागत है मैम
हटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट।हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत स्वागत सर
हटाएंबढ़िया जानकारी देती पोस्ट
जवाब देंहटाएंसादर आभार मैम
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