शनिवार, 6 मार्च 2021

ग़ज़ल क्या है । ग़ज़ल कैसे लिखें । Gazal kya hai । Gazal kaise likhe

 गजल क्या है, गजल कैसे लिखी जाती है, गजल में मात्रा कैसे गिनते हैं, जैसे सवाल बहुत से आम लोगों और नये रचनाकारों के मन में भी आते रहते हैं। कई ब्लॉगर ऐसे हैं जिन्होंने रिटायर होने के बाद अपने विचारों को शब्द देना शुरू किया है। कई गृहिणियाँ भी हैं जो कि बच्चों के विवाह, कैरियर जैसी जिम्मेदारियाँ पूरी कर के लेखन का अपना शौक ब्लॉगिंग के माध्यम से पूरा करने आती हैं। ऐसे में अक्सर देखा गया है कि उनकी इच्छा विभिन्न विधाओं को सीखने-समझने की होती है मगर सही मंच नहीं मिल पाता। ये भी होता है कि जो आलेख इन विधाओं के उपलब्ध होते हैं, वे कठिन भाषाशैली में होने के कारण नवांकुरों के मन में घुल नहीं पाते। इसलिए मेरा प्रयास अपने इस ब्लॉग पर यही रहता है कि सरल से सरल भाषा में उन लोगों के लिए छंद, कविता, समेत अलग-अलग विधाओं पर यथासंभव चर्चा करूँ। इसी क्रम में आज बात करेंगे गजल की। जो भी वरिष्ठ जानकार इस आलेख को पढ़ें, उनसे मेरा निवेदन यही है कि इसको एकदम नये रचनाकारों को आरंभिक जानकारी देने के उद्देश्य से बनाया गया ही मानें। इसको अपनी स्केल पर नाप कर कृपया किसी भी नवोदित को हतोत्साहित न करें।


जो लोग गजल लिखना चाहते हैं, उनका स्वागत है। गजल के बारे में बेसिक बातें जान लीजिए। 


  • कोई भी गजल, शे'रों का समूह होती है। एक गजल में कम से कम पाँच और अधिक से अधिक ग्यारह शे'र होते हैं।
  • सबसे पहला शे'र "मतला" और अंतिम शे'र, जिसमें गजलकार का नाम शामिल हो, "मकता" कहलाता है।
  • मतले के शे'र की दोनों पंक्तियाँ (मिसरे), तुकांत होती हैं। इसके बाद अगर किसी और शे'र के साथ ऐसा नहीं किया जाता। हाँ, अगर एक से ज्यादा मतले हों तो बात और है।
  • गजल के सारे शे'र किसी एक विषय के भी हो सकते हैं अथवा हरेक शे'र अपने स्वतंत्र विषय का भी हो सकता है। 
  • एक ही विषय के शे'र वाली गजल, मुसलसल गजल और अलग-अलग भाव के शे'र वाली गजल गैर मुसलसल गजल कहलाती है।



गजल की बहर क्या है


हर गजल किसी न किसी बहर पर लिखी जाती है। आपने भी गजल की चर्चाओं में बहर शब्द का जिक्र जरूर सुना होगा। तो जान लीजिए कि बहर या मीटर मात्राओं का विशेष क्रम होती है। जिससे गजल में लय और गति आती है। बेबहर गजल को गलत माना है। बेबहर गजल यानि पटरी से उतरी हुई ट्रेन। जिन लोगों को हिन्दी के वर्णिक गणों (यगण, तगण, मगण, भगण आदि) की जानकारी हो, उनके लिए गजल की बहरों को समझना बेहद आसान है। क्योंकि जैसे हिन्दी छंद में ये वर्णिक गण होते हैं, वैसे ही उर्दू विधा गजल में रुक्न होती है। आपको अभ्यास करते रहने से रुक्नों और बहरों के नाम याद रहने लगेंगे, तब तक आप इनको संख्याओं की मदद से समझिए।


हिन्दी वर्णिक गण - यगण (१२२), मगण (२२२), तगण (२२१), रगण (२१२) आदि

उर्दू के रुक्न - फाइलातुन (२१२२), फाइलुन (२१२), फऊलुन (१२२) आदि


इन्हीं रुक्नों को मिलाकर बहरें बनाई जाती हैं। यथा - 


फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन

१२२ १२२ १२२ १२२


अब इस बहर पर आप एक पंक्ति देखिए


"तुम्हारे लिए गीत गातीं बहारें"


तुम्हारे (१२२)

लिए गी (१२२)

त गाती (१२२)

बहारें (१२२)


अब ये पंक्ति को हमने १ और २ में किस तरह से माना है, ये जानने के लिए आपको मात्रा गणना का नियम समझना पड़ेगा, जिस पर मैंने विस्तार से पोस्ट डाली हुई है। आप इसी ब्लॉग में ऊपर "लेखन सीखें" मेनू में जाकर देखिए। बहुत से विषयों की पोस्ट मिलेगी।


बहरें दो प्रकार की बनती हैं। पहली या तो एक तरह के रुक्नों से, जैसा कि ऊपर आपने देखा फऊलुन वाले उदाहरण में, दूसरी दो प्रकार की रुक्नों को मिश्रित कर के, जैसे -


फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन

२१२२ २१२२ २१२२ २१२


यहाँ फाइलातुन और फाइलुन, दोनों का उपयोग हुआ है। इस पोस्ट में अभी इतना ही। आशा है कि जो लोग गजल के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं, उनको गजल का एक छोटा सा परिचय जरूर मिला होगा। गजल में काफिया और रदीफ क्या है, इस पर अगली पोस्ट में बात करेंगे।


वीडियो ट्यूटोरियल देखना चाहें तो यहाँ देख सकते हैं




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