सोमवार, 16 जुलाई 2018

सच का नकाब हो जाए (गीतिका)

दिल न जलती किताब हो जाए।
गुम न कोई जवाब हो जाए।

झूठ का काम आज करना फिर,
एक सच का नकाब हो जाए।

शौक से हम करें शुरू पीना,
प्रीत तेरी शराब हो जाए।

पीर ने जोश-होश को बोला,
साथियों! इंकलाब हो जाए।

वह कली आजकल तरसती है,
एक भँवरा खिताब हो जाए।

लेखनी ने लिया-दिया क्या-क्या,
आज इसका हिसाब हो जाए।

जब उगा ही रखे कई काँटे,
जिंदगी अब गुलाब हो जाए।

मत हवा से करो अधिक बातें,
चिढ़ न किस्मत खराब हो जाए।

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