1.
नीला आकाश अपनी आभा से
सजा देता है रंगहीन नीर को
स्पर्श किए बिना
व्याप्त हो जाती है जिससे सागर में भी
एक दिव्य सी नीलिमा
कुछ ऐसी ही हो तुम भी
जो भौतिक रूप से दूर रहकर
अपनी प्रेमसिक्त तेजस्विता से
बना देती हो मेरे जीवन को ज्योतिर्मय
2.
स्फुटित होते शब्द अंतःकरण में
किन्हीं कारणों से रद्द कर देते हैं
जिह्वातक अपना आना
किन्तु
भिजवा देते हैं भावों के हाथों
नयनों को संदेशा
तुम चाहो तो
उनसे सब हाल पता कर सकते हो
नीला आकाश अपनी आभा से
सजा देता है रंगहीन नीर को
स्पर्श किए बिना
व्याप्त हो जाती है जिससे सागर में भी
एक दिव्य सी नीलिमा
कुछ ऐसी ही हो तुम भी
जो भौतिक रूप से दूर रहकर
अपनी प्रेमसिक्त तेजस्विता से
बना देती हो मेरे जीवन को ज्योतिर्मय
2.
स्फुटित होते शब्द अंतःकरण में
किन्हीं कारणों से रद्द कर देते हैं
जिह्वातक अपना आना
किन्तु
भिजवा देते हैं भावों के हाथों
नयनों को संदेशा
तुम चाहो तो
उनसे सब हाल पता कर सकते हो
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