एक गरीब आदमी रात को अपने दरवाजेपर बैठ आसमान ताक रहा था। हमेशा की तरह अनगिन तारे जगमग थे। आज उससे रहा न गया। उसने चाँद से कहा "अरे ओ चाँद, तेरे आँगन में तो इतने तारे हैं, एक तो मुझे दे दे, ये गरीबी मुझे खोखला किए जा रही है"
चाँद बोला "भाई, ये मेरे नहीं बल्कि इस अनंत नभ के हैं। मैं तो खुद उसके एक कोने में बैठा इनको गिनता रहता हूँ, हाँ ये तुम्हारे जरूर हो सकते हैं, बस तुमको इस ऊँचाईतक आना पड़ेगा"
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