रविवार, 22 जुलाई 2018

नेताजी (लघुकथा)

नेताजी भाषण दे रहे थे,

"कखग पार्टी एक धर्मनिरपेक्ष और जनभावनाओं का सम्मान करनेवाली पार्टी है। उसका जनाधार आम आदमी ने बनाया........"

तभी एक चमचे ने कान में धीरे से सूचना दी,

"नेताजी, अभी-अभी हाईकमान के दफ्तर से सूचना आई है कि कखग पार्टी ने टिकट बँटवारे में अपारदर्शिता का आरोप लगाकर हमसे गठबंधन तोड़ लिया"

नेताजी हड़बड़ाये पर तुरंत संयत होते हुए भाषण दुबारा शुरू कर दिया,

"उ...उस...उसका जनाधार आम आदमी ने बनाया था किन्तु आज वो अपने सिद्धांतों को भूल चुकी है। वो सांप्रदायिकता के अलावा इस समाज को कुछ नहीं दे सकती..........."

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