सोमवार, 16 जुलाई 2018

कायर (छोटी कहानी)

"कायर हो तुमसब के सब। अरे वो कालीचरण दबंग है तो क्या हुआ?? कानून भी कोई चीज है। लड़ना सीखो। उसने आज तुम्हारी दीवार में अपना बाँस घुसाया है जबरदस्ती, कल को तुम्हारे घर को ही अपना बता देगा। तब क्या करोगे?? मुझे देखो, मैं कभी डरता हूँ उससे??" मनहर बाबू पूरे ताव में अपने पड़ोसी रमाकांत जी को कोस रहे थे।

एक हफ्ते बाद कालीचरण ने आदतन अपने दूसरे हिस्से का मकान बनाते समय मनहर बाबू के दीवार में भी जबरन बाँस ठोंक दी क्योकि उनका मकान भी उससे सटा था। किसी ने पूछा "मनहर बाबू, थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई आपने??"


"अरे छोड़िए जी, ऐसे लोगों के मुँह क्या लगना?? आस-पड़ोस से लड़कर रहना ठीक नहीं, थोड़ा सहना भी पड़ता है कभी-कभी"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें