शनिवार, 21 जुलाई 2018

सजग गुदड़ी

है सजग गुदड़ी बहुत
फुटपाथ पर

टोकरों में आस संध्या की रखे
आज थोड़ी दाल भी बिटिया चखे
चर न जाएँ सब अभी ही
जानवर

पूस का भी मान रखना पड़ रहा
उष्णता का ध्यान रखना पड़ रहा
कौन तड़पे बिन दवा के
रात भर

कंबलों में घूमते अनगिन कुरंग
जो इशारों में दिखा देते पलंग
बैठना सो लाज को भी
ढाँप कर

वाहनों वाले भिखारी आ रहे
हाथ जो भी लग रहा, ले जा रहे
धौंस उस पर
चुप! नहीं तो भाग घर!

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