"अरे बेटा, तुम खूब आगे जाओ, खूब तरक्की करो मैं तो भगवान से यही कामना करती हूँ। तुम्हारे पास अंकित से भी ज्यादा नाम हो, पैसा हो.............अच्छा अब चलती हूँ, फ्लाइट का टाइम हो रहा है"
"ठीक है मौसी, आपलोग अपना ख्याल रखिएगा"
अमिता देवी तेजी से एयरपोर्ट के अंदर दाखिल हुई। साथ में अंकित भी था। वो झल्लाया "बोलते टाइम कुछ होश नहीं रहता आपको, कुछ का कुछ बोले जाती हैं। पता है न दिन में एकबार कोई समय ऐसा जरूर होता है जिसमे कही गयी बात सच हो जाती है"
"बेटा, कुछ नहीं होता। क्या पढ़-लिखकर गँवारोंवाली बात करते हो?? अरे एक फॉर्मैलिटी है सो कह दिया, मैं कभी थोड़े चाहूँगी कि वो तुमसे आगे जाए..........."
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