टमकू सियार के घर से
सुबह-सुबह रोने की आवाजें सुनकर सभी जानवर वहाँ आ पहुँचे। भिक्कू हाथी ने घबराए
स्वर में पूछा,
"क्या हुआ टमकू?"
यही सवाल सुक्खू तोते और
मीनू मैना ने भी किया लेकिन टमकू का रोना जारी था। पास बैठी उसकी बीवी छुमकी
सियारिन भी रोए जा रही थी। अंततः गिलहरी टन्नो काकी ने थोड़ा डाँटते हुए कहा,
"अरी छुमकी, तू बताएगी नहीं तो हम तेरी समस्या का हल कैसे निकालेंगे?"
छुमकी थोड़ा सम्हली और
सिसकती हुई बोली,
"काकी, ह...हमलोग कल रात एक संबंधी के यहाँ विवाह में गये हुए थे।
अभी लौटे तो देखा कि अलमारी का ताला टूटा हुआ था और सारे गहने गायब हैं" इतना
कहते-कहते उसने फिर सिर पकड़ लिया और जोर-जोर से रोने लगी। सबने देखा तो सचमुच
अलमारी खुली हुई थी और हैंडल एक तरफ टूट के लटका हुआ था। अंदर कुछ दराजें भी खुली
थीं जो अब बिल्कुल खाली थीं। सुक्खू चुपचाप गया और थाने में इस घटना की सूचना दे
दी। कुछ ही मिनटों में दरोगा तेजा हिरण दल-बल के साथ वहाँ आ गया।
"पूरी घटना बताइए टमकू जी" तेजा ने मजबूत
आवाज में कहा। टमकू ने खड़े होकर अपनी बनियान ठीक की और वही सब जो वे पड़ोसियों को
बता रहे थे, उसको भी बता
दिया। उसके पीछे उदास सूरत बनाए उसका बड़ा बेटा कच्छा
पहने बैठ ब्रश कर रहा था।
"हम्म, किसी पर संदेह आपको?" तेजा उठते हुए बोला।
"नहीं दरोगा जी" टमकू ने आँसू पोंछते हुए
जवाब दिया। तेजा रिपोर्ट लिख कर निकल गया। पहले घर के अंदर और फिर बाहर आकर उसने
चारों ओर ध्यान से निरीक्षण किया। एक-एक दरवाजे और खिड़की की जाँच की।
"उँगलियों के निशान ले लो दरवाजे-खिड़कियों पर
से और घर के सारे लोगों सहित पड़ोसियों के भी" उसने हवलदार भुल्लू बकरे को
आदेश दिया। भिक्कू हाथी भी अब वहाँ से निकल के जाने लगा था। वह घबरा गया
"म...मेरी उँगलियों के निशान क्यों तेजा बेटे?"
"कुछ नहीं भिक्कू चाचा, बस पुलिसिया काम
अपना, आप डरिए
नहीं"
"न...नहीं म...मैं क्यों डरूँगा! ल...ले लो, ले लो
निशान"
तेजा ने देखा कि भिक्कू
के माथे पर पसीना छलछला आया था। सब जगहों से निशान और जरूरी चीजें इकट्ठी कर तेजा
अपनी जीप में बैठकर लौट गया। उसी रात जब भिक्कू अपने घर में सोया हुआ था तो कोई
परछाईं चुपके से छत के रास्ते उसके घर में घुसी। उसने दबे पाँव वहाँ रखी सारी
चीजों की सावधानी से तलाशी शुरू कर दी। कुछ देर बाद वह परछाईं जैसे आयी थी वैसे ही
लौट गयी। अगले दिन तेजा अपने घर के बरामदे में बैठ चाय का मजा लेते हुए अखबार पढ़
रहा था कि बीमा एजेंट गुल्ली बंदर गुजरता दिखाई दिया। तेजा ने पुकारा,
"क्या भई गुल्ली! कहाँ भागे जा रहे सवेरे-सवेरे?"
गुल्ली अंदर आ गया।
"आज थोड़ा काम आ गया है तेजा भैया, एक दावे का निपटारा
करना"
"अच्छा, किसका?...रुक चाय मँगाता हूँ" कहते हुए तेजा ने अपनी बीवी को
पुकारा।
"अरे लीला, देखो गुल्ली आया है, चाय पिलाओ इसको भी"
"अरे गुल्ली भैया" लीला चाय लेकर आ गयी।
सबने बातें करते हुए साथ चाय पी फिर अपने-अपने काम में जुट गये। शाम को नये-नये कपड़े
पहन तेजा टमकू सियार के घर पहुँचा। उसने देखा कि घर में कई डिब्बे मिठाइयाँ रखी
थीं और समोसे भी प्लेटों में सजे थे।
"किस खुशी में पार्टी चल रही टमकू भाई?" उसने पूछा। टमकू
अचानक उसे यहाँ पाकर थोड़ा असहज हो उठा।
"प...पार्टी कहाँ दरोगा जी! य...ये तो बच्चे पिछले
दिनों हुई चोरी के बाद बहुत उदास रहने लगे हैं, ठीक से खाना भी नहीं खाते, वही उनके लिए थोड़ा सा...लीजिए आप भी"
उसने समोसे की एक प्लेट तेजा की ओर बढ़ाई। तेजा ने खुशी-खुशी एक समोसा ले लिया।
"जरूर-जरूर, आज मैं भी प्रसन्न हूँ, आपका चोर पकड़ा गया है"
"क्या! च...चोर पकड़ा गया? क...कौन है वो?" टमकू हड़बड़ा
गया।
"आप स्वयं" समोसे खा रहे तेजा का चेहरा
यकायक कठोर हो उठा।
"क्या बकवास कर रहे दरोगा जी! शराब पीकर आए हैं
क्या?" छुमकी गुस्से में
बाहर आई।
"इतना क्रोध न करें मैडम" तेजा ने समोसा
खत्म कर हाथों को झाड़ते हुए कहा।
"मुझे शक तो उसी दिन हो गया था किसी
गड़बड़ी का जब मैंने आपकी अलमारी के ताले तो टूटे देखे लेकिन आपके घर में आने-जाने
के एक भी रास्ते, एक भी दरवाजे या
खिड़की पर खरोंच तक नहीं पायी। चोर घर में घुसा कैसे? इसके अलावा पूरे
घर का सामान बिल्कुल व्यवस्थित था केवल गहनों की अलमारी और तो और वो दराज
जिसमें गहने रखे थे वही टूटी! चोरों को कैसे पता कि गहने वहीं रखे हैं? मजे की बात तो ये
कि शादी से लौटते ही घर में उतनी बड़ी चोरी की जानकारी पाकर भी आप सब ने पहले
अपने-अपने कपड़े बदले, हाथ-मुँह धोया और
तब आराम से पुलिस बुलाई! सही कह रहा हूँ न? टमकू भाई बनियान में थे उस दिन तथा आपका सुपुत्र
आराम से ऊँघता दाँत साफ कर रहा था कच्छे में"
"द...देखिए तेजा साहब म...मैं एसपी सर से आपकी
शिकायत करूँगा" टमकू उसे धमकाते हुए बोला।
"अबे चुप" तेजा ने कस के उसे डाँट लगाई।
"जब उँगलियों के निशान देने में भिक्कू को घबराया देखा मैंने तो उसके घर की
भी तलाशी ली एक रात लेकिन कुछ नहीं मिला। मैं इस केस में आगे बढ़ने का रास्ता सोच
ही रहा था कि मेरी भेंट गुल्ली से हुई। उसने बताया कि तूने चोरी पर बीमा ले रखा
जिससे तुझे मोटी रकम मिलेगी। चोरी होते ही तूने रकम के लिए दावा भी कर दिया
रातों-रात!"
बचने का कोई और उपाय न
पाकर टमकू खिड़की से कूदकर भागने लगा लेकिन बाहर पहले से तैयार खड़े हवलदार भुल्लू
बकरे ने उसे पकड़ लिया। बीमे की रकम लेने के लिए अपने ही घर में नकली चोरी
करनेवाले टमकू की खबर अगले दिन सभी समाचार पत्रों में छपी और तेजा हिरण को केस
सुलझाने के लिए मिले बहुत सारे पुरस्कार (समाप्त)
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