सोमवार, 16 जुलाई 2018

ठूँठ हैं न (लघुकथा)

आम के पेड़ ने अमरूद के पेड़ से कहा

"यार उनकी भी क्या हस्ती है, वाह! हमेशा तने-अकड़े खड़े रहते हैं। अपनी मर्जी के मालिक"

अमरूद ने व्यंग्यात्मक दृष्टि उनकी ओर डाली फिर बोला,

"ठूँठ हैं न, फल-पत्तियों से लदे होते तो हमारी तरह झुकना भी पड़ता और हवा के साथ-साथ झूमना भी, हुँह....."

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