बुधवार, 1 अगस्त 2018

बाल कविताएँ (होली विशेष)

(1) आज यहाँ है होली

लंदन का बंदर एक दिन जब
नंदनवन में आया
हाल देखकर अजब-अनोखा
उसका सिर चकराया


कौआ मिलता यहाँ गुलाबी!
भालू आधा पीला!
हाथी हरियल, मैना उजली!
रंग हंस का नीला!


तभी उसे सतरंगी कोयल
चपत लगाकर बोली
रे अँगरेज, दिमाग लगा लगा मत
आज यहाँ है होली


(2) रंग सभी हैं प्यारे-न्यारे

रंग सभी हैं प्यारे-न्यारे
सबका अलग महत्व
सही समन्वय में इनसब के
मिलते जीवन तत्व


जो तोड़े अपनी मर्यादा
मिटता उसका अंश
हिल-मिलकर नित रहनेवाला
खूब बढ़ाता वंश


प्रेम, शांति जीतेगी जग में
नित हारेगा क्लेश
बच्चों, होली हमको देती
सदा यही संदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें