रविवार, 26 अगस्त 2018

इलाज (लघुकथा)

नेताजी अस्पताल में भर्ती थे। मेडिकल टीम नियमित चेकअप के लिए आयी। आज दोनों डॉक्टर नये थे। उन्होंने जाँच शुरू की। पहला बोला,

"सर, आप ब्लडप्रेशर की शिकायत कर रहे लेकिन आपका ध्यान कभी अपने दाँतों के दर्द पर क्यों नहीं जाता?"

नेताजी आश्चर्य से उसका मुँह देखने लगे,

"अरे भाई, समस्या तो वह भी लेकर आए हैं ही हम, उसका भी इलाज करा रहे"

तब तक दूसरा बोल पड़ा,

"नहीं सर, आपका ध्यान अपने ब्लडप्रेशर पर ही जाता है केवल, पहले आपको दाँतों का इलाज कराना चाहिए"

पहला फिर से अपनी बात दुहरा उठा,

"जब तक दाँतों की समस्या दूर नहीं होगी, ब्लडप्रेशर को ठीक करने का क्या फायदा? पहले दाँतों को सही कीजिए"

नेताजी को गुस्सा आ गया,

"क्या मजाक लगा रखा? सारी परेशानियाँ हमारे अपने शरीर की हैं और हम सबको ठीक करेंगे कि एक को दूसरे की आड़ में छिपा-छिपा के बीमार बनाए रखेंगे खुद को?"

सामान समेटती नर्स मुस्कुराने लगी,

"नेताजी, कई परेशानियाँ हमारे अपने देश की भी तो हैं! आपलोग उनको ठीक करने की बजाए एक को दूसरे की आड़ में छिपा-छिपा के बीमार क्यों बनाए हुए व्यवस्था को?"

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