रविवार, 26 अगस्त 2018

आवाज (लघुकथा)

अपने रिपोर्टिंग ऑफिसर की जन्मदिन पार्टी के दौरान सिद्धार्थ बाबू हाथ धोने नीचे वॉशरूम में पहुँचे ही थे कि बगल से कुछ आवाज सुनाई दी। झाँककर देखा तो एरिया मैनेजर श्रीवास्तव जी अपनी जूनियर सहकर्मी के साथ आपत्तिजनक अवस्था में! प्रथम दृष्टया तो यही लग रहा था कि उस सहकर्मी की सहमति नहीं थी। सिद्धार्थ बाबू का खून खौल उठा। वे गुस्से में उधर बढ़े ही थे कि आँखों के सामने पंद्रह साल पहले की एक घटना कौंध गयी। ठीक इसी तरह कंपनी के एक पूर्व वरीय अधिकारी को उनकी सेक्रेट्री के साथ देख उनका विरोध जताना और बाद में उसी सेक्रेट्री का प्रोन्नति लेकर आरोपी को दोषमुक्त करते हुए उल्टे उन्हीं पर अपनी छवि खराब करने के आरोप में एफआईआर... 

सिद्धार्थ बाबू अब चुपचाप हाथ धोकर सीढ़ियों की ओर बढ़ चुके थे। हाथ धोते समय भी उन्होंने पूरा ध्यान रखा था कि पानी गिरने की कोई आवाज न हो।

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