रविवार, 9 दिसंबर 2018

मकड़े के भाई (लघुकथा) | laghukatha in hindi | laghukatha

सिरसा चाय बनाने में मगन था। बड़ा लड़का मिन्टू तिरपाल की टूटी रस्सी वापस बाँध रहा था। तभी पुलिस की जीप आकर रुकी। दरोगा जी कड़कते हुए बोले

"बार-बार सालों को हटाओ लेकिन फिर लगा लेते टीन-टप्पर"

पुलिसवालों को देखते ही वहाँ बैठे दो-चार ग्राहक भी जल्दी से खिसक लिए। कुछ ही देर में अतिक्रमण हटाओ अभियान पूरा हो गया। पुलिस के जाने के बाद सिरसा और आसपास के उजाड़े गये अन्य दुकानदारों ने अपना-अपना ठीक हालत में बचा-खुचा सामान समेटना शुरू कर दिया। मिन्टू भी एक बोरा थामे खड़ा था। एक-एक कर सामान उसमें रखते सिरसा के चेहरे पर दीनता से भरी मुस्कान नाच उठी।

"अब समझा रे मिन्टुआ...हम काहे बोलते हैं मकड़े को अपना भाई?"

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