14 दिसंबर को मंकी डे मनाने के चलन सन 2000 से चला आ रहा है। हालाँकि ये संयुक्त राष्ट्र से घोषित दिवस नहीं है लेकिन निरीह जानवरों के प्रति प्यार दर्शाने की भावना से सैंकडों देश इसमें भागीदारी करते हैं। दुनिया भर के चिड़ियाघरों के साथ-साथ कई जगह बंदरों से जुड़े कार्यक्रम रखे जाते हैं। भारत में भी इस अवसर पर विभिन्न जगहों पर बच्चों के लिए कई कार्यक्रम होते हैं, जिनमें उन्हें जंगल और उसके जानवरों के बारे में बताया जाता है। इसे शुरू करने का श्रेय कैसे सॉरो और एरिक मिलीकिन को जाता है। एक दिन जब कैसे सॉरो पढ़ रहे थे तब उन्होंने अपने दोस्त के यहां टंगे कैलेंडर में 14 तारीख पर मंकी डे की चिट लगा दी जिसे बाद में सब दोस्तों ने सचमुच सेलिब्रेट किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सब मंकी डे को प्रमोट करने में जुट गए। बंदरों की पेन्टिंग्स बनाकर लोगों को दिखाना और जागरुक करना शुरू किया। वैसे तो हम सब ने अपने आसपास कईबार बंदरों को देखा है किन्तु आज हम तुम्हें बता रहे हैं बंदरों की कुछ बेहद अनोखी प्रजातियों के बारे में।
मूँछों वाला बंदर एम्पेरर टामरिन
इसके चेहरे पर सफेद, लंबी मूँछें होती हैं जो कि लटकती रहती हैं। इसका शरीर रोएँदार, धूसर रंग का होता है। इस बंदर का आकार 9–10 इंच का होता है लेकिन इसकी पूँछ 13.8–16.3 इंच की लंबाई तक पहुँच जाती हैं यानी इसकी पूँछ इससे भी लंबी होती है। ये जीव मूल रूप से दक्षिण-पश्चिम अमेजन घाटी में पाया जाता है और इससे लगते पेरू, ब्राजील और बोलिविया के कुछ इलाकों तक भी देखने को मिलता है। भोजन की बात करें तो ये मुख्यतः फल खाने वाले होते हैं लेकिन जरूरत होने पर कीड़े, शहद और पत्तियाँ भी खा लेता है। मादा टामरिन 140-145 दिनों की गर्भावधि के बाद शिशु टामरिन को जन्म देती है। एम्पेरर टामरिन का जीवनकाल 10 से 20 वर्षों का होता है।
गोल्डन लायन टैमरिन
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि ये बंदर देखने में काफी हद तक शेर जैसा लगता है किन्तु आकार में बहुत छोटा है। लगभग 7.5 से 8.75 इंच का इसका शरीर 10.25 से 13.5 इंच लंबी पूँछ वाला होता है। इनकी औसत आयु 15 वर्ष मानी जाती है। ये मूलतः ब्राजील से हैं। मजेदार बात ये कि ये हर रोज एक नयी मांद में सोते हैं। सुबह के नाश्ते में फल और दोपहर के खाने में कीड़ों को पसंद करते हैं। जंगलों को काटे जाने से इनका अस्तित्व संकट में है।
गिलहरी बंदर
स्क्विरेल मंकी या गिलहरी बंदर मध्य और दक्षिणी अमेरिका में मिलता है। इनको समूहों में रहना पसंद होता है। हर समूह में लगभग पाँच सौ सदस्य होते हैं। ये देखने में थोड़ा-थोड़ा गिलहरी सा लगता है। इनके सदस्य सुरक्षा के लिए खास तरह की आवाजें निकाल कर अपने साथियों को सचेत कर देते हैं। विशेषकर जब बाजों का हमला हो तब। कीड़े और फल इनका मुख्य भोजन हैं। ये 25 से 35 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते हैं। इनकी भी पूँछ इनसे लंबी यानि लगभग 35 से 42 सेंटीमीटर की होती है। पूँछ का उपयोग ये पेड़ों पर चढ़ने-उछलने के समय अपना बैलेंस बनाए रखने में करते हैं।
गोल्डन मंकी
इसका चेहरा देखोगे तो ऐसा लगेगा कि मधुमक्खियों ने काटकर सुजा दिया है। ये मध्य अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम युगाण्डा में पाया जाता है। एक पुरुष गोल्डन मंकी 19 से 26 इंच लंबा और 4.5-7 किग्रा वजन का हो सकता है। मादा का आकार-वजन इनसे कुछ कम होता है। रोचक बात ये है कि अपने ग्रुप में ये प्राणी, बोलने के अलावा मनुष्यों की तरह चेहरे के संकेतों से भी विचार-विमर्श कर लेते हैं। इनकी पीठ पर लाल-सुनहरे रंग के फरों के कारण इनको गोल्डन मंकी कहा जाता है। ये बाँस के जंगलों में रहना पसंद करते हैं बाँस की पत्तियाँ इनका मुख्य भोजन है।
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