घर-गृहस्थी का संगीत हैं नारियाँ।
रीत हैं नारियाँ, प्रीत हैं नारियाँ।
हौले-हौले बदल देतीं हालात को,
अनकही, अनदिखी जीत हैं नारियाँ।
जोड़ लेतीं सहज तार संबंध के,
बंधनों में बँधीं मीत हैं नारियाँ।
मन को नहलातीं सुख-शांति के नीर से,
चाँदनी में बसी शीत हैं नारियाँ।
चल पड़ीं मंजिलों की तरफ आज ये,
मुश्किलों से न भयभीत हैं नारियाँ।
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नारी मन की सुंदर अभिव्यंजना ..बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंमैम, आपका बहुत-बहुत आभार
हटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद मैम
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर आभार मैम
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